मै कभी नही हारा और न मै कभी हारूंगा..
मुझे जन्म दिया मेरी माँ जो निश्चचल है निष्कपट है निस्वार्थ है भला मै कैसे हार सकता हूँ दुलार हूँ मै!
मुझे बड़ा किया है मेरे पिता ने जिनका स्वभाव सरल, हृदय गंगा सा निर्मल मै कैसे हार सकता हूँ पहरेदार हूँ मै!!1
मुझे तैयार किया मेरी बहनो ने ,मै जिद्दी था मुझे स्वीकार किया मेरी जिद को मेरी जीत बनाइ उनका सपना है की मै परिवार की शान बनू सबका अभिमान बनू मै कैसे हार सकता हूँ!
मेरे शौक पूरे किए मेरे भाईस्वरूप मित्रो याद है मुझे पहली बार सिनेमा जाना उनके साथ पीना मेरा दुनिया है मेरी दोस्त, मै कैसे हार सकता हूँ!!2
मै जब जब गिरा, मै जब जब टूटा , मै जब जब अकेला हुआ मुझे सम्भाला मेरे ईश्वर ने मेरे मालिक ने मुझे शक्ति दी धैर्य से चलने की आगे बढ़ने की ,मेरे सपनों को हकीकत मे बदलने का मै नही हार सकता!
मै नही हारूँगा ,मै लड़ूूगा कठिन समय से, विपरीत परिस्थितियों से ,नकरात्मक समाज से मैं इन सब लोगों की आस हूँ मै नही हार सकता!!3
मै नही हार सकता कभी न हारूँगा, कभी नही कभी नहीं!
उमेश मिश्रा (शिवम)