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लौट आ!

एक पिता के शब्द अपने उस बेटे के जिसने उनको छोङ दिया-
तमाम ख्वाहिशें है तुम्हारी  ,बता भी दो अब जरा अभी और कितनी चाहिए जिन्दगी हमारी!1
छोटा था तू जब तो ठीक था, नासमझ कहकर लड़ लेता था तेरीमाँ से , क्या पता था तू मुझसे लङेगा?
पता चलेगा तुुझे भी दर्द एक पिता  का जब तू भी कभी पिता बनेगा!2
अच्छा होता की एक बेटी और हो जाती, माना कि कुछ ही दिनो लिए ही सही पर खुशियाँ तो लाती!!3
थक जाती है माँ तेरी राह तकते -तकते, कई बार मैने कहा- बोली खा लूंगी 
कहा गया है मेरा लाडला, पहले उसकी सुध लूंगी!4
उधर तू तो पड़ा अपने यारों मे, पी रहा शराब कभी होटलों मे कभी कारों मे!5
तू क्यो हमारी मेहनत बेकार कर रहा है, अपने इन बूढ़े माँ-बाप को लाचार कर रहा है!6
काश लौटा दे ईश्वर तेरा बचपन , तेरा मासूम सा चेहरा और वो निश्छल मन!7
लौट आ घर हमारी आखों का तारा है तू , जैसा भी हो इस जहाँ मे सबसे प्यारा है तू!8
एक बार ही सही लौट आ!!