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तमाम इश्क

इश्क का खुमार ही कुछ ऎसा था वो चढ़ता रहा मै उसी राह मे बढ़ता रहा
शुरूआत महज एक हसरत से हुई थी ना जाने कितनो का सपना बनता रहा!!1
मैने जिस भी गली पर कदम रखा , हर मोड़ पर ये इश्क था !
कभी सच्चा इश्क ,कभी झूठा इश्क , कभी झूठा होकर भी सच्चा तो कभी सच्चा होकर भी झूठा !!2
ऎसा  कौन है भला जिसे इश्क हुआ ना हो ये ऎसा एहसास जो सबसे खास है !
जिस से कभी नजरे भी ना मिली थी पल भर के लिए , आज वो पास है!!3
सबका हम दर्द है ये तभी तो ये इश्क है वैसे तो ये एक बार होता है ये, लेकिन मेरे लिए कई बार है !
तमाशा बन गई है ये जिंदगी क्योंकि इसमे इश्क तमाम है!!4
थक गया हूँ ,मै रूक गया मै सोच कर ये कहीं फिर से ना खो जाए ये अब तो इतना काबिल भी नहीं हूँ कि फिर से हो जाए!!5
 तमाम है इश्क तेरी दुनिया मे मुझे  सिर्फ एक की तलाश है!
उमेश मिश्रा(शिवम)