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शब्द है अनमोल!

  तलवार से भी ज्यादा  शब्दों की है धार
  जरा संभल के बोलना इन्हें कहीं  कर ना दे  वार!
  मार  की चोट से ज्यादा शब्दों की चोट होती है  गहरी
 पाला था जिसने बड़ी मुसीबतों से अपने लाल को, पल में  बोला वाह "क्या किया है तूने मेरे लिए"?
पैरों से जमीन खिसक गई उसकी और  दुआ की उसने  यह सुनने के पहले वो क्यों न गई मैं बहरी!!
ना स्वर्ण मुद्राओं का  लोभ है , ना कभी आया तेरे महलों का  खयाल!
तेरे दो मीठे शब्द ही मेरा सम्मान है इसलिए बोलने से पहले अपने शब्दों को संभाल!!
परेशान है तू मैं जानती हूं भटक रहा है मैं मानती हूं
खो रही है मंजिले तेरी खत्म हो रही है हसरते  तेरी
पर याद रख परिस्थितियां कैसी भी हो, बोल तेरे  मीठे हो!
 बोलो तुम बस प्यार से शब्द ,जो तुमने सीखे हो!
  रास्ते फिर से बनेंगे मंजिलें फिर से  मिलेंगी
 धैर्य से तू काम ले थोड़ा सा तो विराम ले!
सोच के तू बोल, क्योंकि शब्द है अनमोल क्योंकि शब्द है अनमोल!
 (उमेश मिश्रा)
 


 





तेरी हंसी!

एक प्यारी सी हंसी एक नन्ही सी हंसी 
 हंसी जो जगमगा  दे दुनिया सारी ,हंसी जो महका दे बगिया  सारी
हंसी जो आंगन में हंसी, जो दामन में हो 
 हंसी हो जो दिल में हो हंसी वह जो जुबा में हो
हंसी वह जो जमी पे हो हंसी वह जो आसमान में हो,
मेरे दिल की धड़कन जहां है फंसी ,वह सिर्फ तेरी और तेरी है हंसी!
इस  जमाने की तमाम खुशियां तुझ पर वारी है तू जैसी भी है बिटिया  हमारी है|
हम सबके दिलों की राजदुलारी है, है तो तू इतनी सी है पर सब पर भारी है!
कभी डांट ती तो कभी दुलारती ,मामा मामा कहकर मुझे पुकार ती!
कभी पटाखों की  वो धमक ,कभी होली में रंगों की महक
 हम सबके हर त्यौहार की तू रानी है,  मेरी छोटी सी बच्ची बातें बनाने में नानी है|😀
 एक  दिन तू तो बड़ी हो जाएगी हम सब को छोड़ कर चली जाएगी|😔
रह जाएगी तो बस तेरी  यादें वो तेरी प्यारी सी  हंसी|
 मेरी प्यारी भांजी मान्या!


कश्मीरी पंडित

वैसे तो मुझे कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचार के बारे में थोड़ा बहुत पता है लेकिन आज मैंने एक मूवी का ट्रेलर देखा जोकि अंतरात्मा को झकझोर देने वाला था! इस ट्रेलर में कश्मीरी पंडितों पर वास्तव में हुए अत्याचारों के बारे में किस तरीके से दिखाया गया है , अगर उसका 20% भी सच है तो यह मैं मानता हूं कि यह पूरी कश्मीर की नहीं बल्कि उन मुल्कों के लिए जो मुल्क इसको अपना हिस्सा मानते हैं एक बहुत बड़ा अपराध है ,आज हम भारतीय जिस जम्मू कश्मीर के नक्शे को अपना मुकुट मानते हैं असल में वह मुकुट तीन भागों में बटा हुआ है कश्मीर का जो उत्तरी सिरा है वह पाकिस्तान का हिस्सा है उसके ठीक नीचे यदि हम पश्चिमी तरफ जाए तो वह ऐसा भी आजाद कश्मीर है जो भी पाकिस्तान ऑक्यूपाइड कश्मीर यानी कि पीओके, कश्मीर के अगर हम पूर्वी भाग की तरफ  की तरफ बढ़े तो ज्यादातर हिस्सा चीन का है जिसे अक्साई चीन कहा गया है केवल केंद्रीय भाग जो भारत के हिस्से में आता है वह ही भारत का हिस्सा है इसे मैं मानचित्र के द्वारा आप सब को समझा सकता हूं! 
आप देख सकते हैं किस-किस तरीके से इस दिए हुए मानचित्र में केवल जो नीला भाग है वह वास्तविकता में भारत के पास है और जो आप देख रहे हैं इसमें सियाचिन ग्लेशियर सक्षम वैली यह यह बाद भारत और पाकिस्तान बीच झगड़े की जड़ है !
दरअसल आजाद कश्मीर में ज्यादातर  कश्मीरी पंडितों की आबादी थी किंतु लगातार इस्लामिक आक्रमण के कारण और उनकी क्रूरता के कारण दिन-प्रतिदिन वहां से कश्मीरी पंडितों का शोषण होने लगा ,उनकी महिलाओं बहन बेटियों के साथ अत्याचार होने लगे कश्मीरी पंडितों के लिए मुसलमानों ने एक तरीके का फतवा जारी किया कि सभी कश्मीरी पंडित यहां से चले जाएं नहीं तो वह मारे जाएंगे ,ज्यादातर पंडितों ने डर के मारे वहां से दिल्ली की ओर पंजाब की ओर आ गए और जो नहीं आ पाए उनके साथ बर्बरता की गई और उनकी जान ले ली गई इस तरीके से लगातार बढ़ती हुई इस क्रूरता के कारण कश्मीरी पंडितों का पलायन लगातार बढ़ता गया
 आश्चर्य होता है कि उस समय हमारे देश की सरकार सारे नेता यह सब क्या कर रहे थे आज जब बात सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट की आती है बहुत से लोग वकालत करने के लिए घर से निकल आते हैं लेकिन जिन समय कश्मीरी पंडितों पर अत्याचार हो रहे थे तो लोग क्या कर रहे थे सरकार क्या कर रही थी कि ज्यादातर कश्मीर जो है उसको पूर्णता एक इस्लामिक राज्य के दर्जा देने की कोशिश की गई मैं आभारी हूं अपनी नई सरकार का उसकी सोच का कि उसने इन सब चीजों से हटकर के राजनीतिक लाभ से हट कर के हमारे देश के लिए कश्मीर के लिए कश्मीर के नागरिकों के लिए एक अच्छी शुरुआत की है धन्यवाद देना चाहूंगा इस सरकार का जिसने कश्मीर के लिए लद्दाख के लिए एक नई पहल की है!

रविवार

  गूंजती है चिड़ियों की चहचहाहट कानों में आज भी, सर्दियों के  वह कोहरे भरे दिन और काली अंधेरों की रातें  आज भी!
हफ्ते का वह एक दिन जो देता था तमाम खुशियां ,याद है मुझे वह बचपन का   दिन आज भी!!
 ना स्कूल जाने की चिंता ना टीचर का डर, जब तक मन हो सोए रहो बेड पर!
 याद करता हूं मैं वह  शो जो कभी थे टेलीविजन की शान
 कभी चित्रहार तो कभी शक्तिमान कभी कैप्टन व्योम ,कभी आर्यमान ! 
वो टायरों को डंडे से मारना, वह कंचे से कंचे को लड़ाना, दोस्तों से लड़ना झगड़ना रसोई में बने पकवानों को चुराना!!
 सूरज का हफ्ते में बस एक दिन निकलना छतों पर कपड़ों को सुखाना
 गलियों की वह धमाचौकड़ी, बच्चों द्वारा किया गया शोर ऐसा लगता था मानो कोई  यार आया है 
जब कैलेंडर देखा तो पता लगा आज रविवार आया है!